दूसरे अध्याय में स्पष्ट किया जा चुका है कि वर्तमान काल की पार्टियों के साथ, जैसे कि इंगलैंड में चार्टिस्टों के साथ और अमेरिका में कृषि सुधारकोंयहां अमरीकी पार्मरों के लगान विरोधी आंदोलन (1845) या भूमि को मुक्त कराने के आंदोलन का जिक्र किया गया है. इसका उद्देश्य बिना मूल्य पर फार्मरों को जमीन दिलवाना था. के साथ कम्युनिस्टों का संबंध कैसा है.

कम्युनिस्ट मजदूरों के तात्कालिक लक्ष्यों के लिए लड़ते हैं, उनके सामाजिक हितों की रक्षा का प्रयास करते हैं; किंतु वर्तमान के आंदोलन में वे इस आंदोलन के भविष्य का भी प्रतिनिधित्व करते हैं और उसका ध्यान रखते हैं. फ्रांस में दकियानूसी और उग्रवादी पूंजीपतियों के खिलाफ कम्युनिस्ट सामाजिक-जनवादियोंफ्रांस में सामाजिक जनवादियों का संसदीय प्रतिनिधि लेद्रु-रोलें (1870-1874) और साहित्यिक प्रतिनिधि लुई ब्लां (1811-1842) थे. उनका मुखपत्र 'सुधार' नामक एक दैनिक था. ‘सामाजिक जनवाद' का नाम खोजकर अपनाने वाले इन लोगों के अलावा, सामाजिक जनवाद का मतलब जनवादी अथवा लोकतांत्रिक पार्टी का वह हिस्सा भी था, जो थोड़ा बहुत समाजवाद के रंग में रंगा था. (एंगेल्स) के साथ एका कायम करते हैं; लेकिन ऐसा करते हुए वे महान क्रांति के दिनों से परंपरागत रूप से चली आती हुई लफ्फाजी और भ्रांतियों के प्रति आलोचना का रुख अपनाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हैं.

स्विट्जरलैंड में वे उग्रवादियों का समर्थन करते हैं, लेकिन यह भूले बिना कि यह पार्टी परस्पर विरोधी तत्त्वों के मेल से बनी है; कुछ तो उसमें फ्रांसीसी किस्म के जनवादी समाजवादी हैं और कुछ उग्रवादी पूंजीपति.

पोलैंड में उस पार्टी को समर्थन करते हैं जो कृषि क्रांति को राष्ट्रीय आजादी की पहली शर्त के रूप में ग्रहण करती है और जिसने 1846 में क्रैको विद्रोहयहां पोलिश जनवादी पार्टी का जिक्र किया जा रहा है, जो 1832 में स्थापित हुई थी. उसने क्रेको विद्रोह में हिस्सा लिया था, जो 22 फरवरी 1846 को हुआ और मार्च में पराजित हो गया. की आग सुलगाई थी.

जर्मनी में जब-जब वहां का पूंजीपति वर्ग निरंकुश राजतंत्र, सामंती भूस्वामियों और निम्न पूंजीपतियोंयहां प्रयोग किए गए जर्मन शब्द का सही अर्थ “निम्न पूंजीवादी स्थितियां” हैं. शहरी निम्न-पूंजीपतियों के प्रतिक्रियावादी तत्त्वों के लिए भी मार्क्स ने इस शब्द का इस्तेमाल किया है. के खिलाफ क्रांतिकारी कार्रवाई करता है, तब वे उसके साथ मिलकर लड़ते हैं.

लेकिन वे मजदूर वर्ग को सर्वहारा और पूंजीपति के बीच शत्रुतापूर्ण विरोध का यथासंभव साफ-साफ बोध कराने से क्षण भर के लिए भी बाज नहीं आते, ताकि जर्मन मजदूर वर्ग उन सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों को, जिन्हें पूंजीपति वर्ग अपने प्रभुत्व के साथ अनिवार्यतः लागू करेगा, फौरन पूंजीपति वर्ग के विरुद्ध साधन की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर सकें, ताकि जर्मनी में प्रतिक्रियावादी वर्गों का तख्ता उलटने के बाद स्वयं पूंजीपति वर्ग के खिलाफ तुरंत ही लड़ाई की शुरुआत हो जाए.

जर्मनी की ओर कम्युनिस्ट खास तौर पर इसलिए ध्यान देते हैं कि वह देश ऐसी पूंजीवादी क्रांति के द्वार पर खड़ा है जो अनिवार्यतः यूरोपीय सभ्यता की अधिक उन्नत स्थितियों में, इंग्लैंड की सत्रहवीं शताब्दी और फ्रांस की अठारहवीं शताब्दी के मुकाबले एक अधिक उन्नत सर्वहारा को लेकर होगी; और इसीलिए कि जर्मनी की यह पूंजीवादी क्रांति इसके बाद तुरंत ही होने वाली सर्वहारा क्रांति की भूमिका होगी.

संक्षेप में, कम्युनिस्ट हर जगह मौजूद सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ हर क्रांतिकारी आंदोलन का समर्थन करते हैं.

इन तमाम आंदोलनों में वे प्रमुख सवाल के रूप में संपत्ति के सवाल को, चाहे उस समय उसका जिस अंश में भी विकास हुआ हो, सर्वोच्च स्थान देते हैं

अंत में, वे हर जगह तमाम देशों की जनवादी पार्टियों के बीच एकता और समझौता कराने की कोशिश करते हैं.

कम्युनिस्ट अपने विचारों और उद्देश्यों को छिपाना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं, वे खुलेआम ऐलान करते हैं कि उनके लक्ष्य पूरी वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को बलपूर्वक उलटने से ही पूरे किए जा सकते हैं. कम्युनिस्ट क्रांति के भय से शासक वर्ग कांपा करें. सर्वहारा के पास खाने के लिए अपनी बेड़ियों के सिवा कुछ नहीं है. जीतने के लिए सारी दुनिया है.

दुनियां के मजदूरो, एक हो !