सरकार का प्रचार है कि यदि वेतन कैशलेस या चेक से सीधे मजदूरों के खातों में भेजा जायेगा तो न्यूनतम मजदूरी की चोरी रुकेगी. यह सरासर झूठा प्रचार है. पहले तो सरकार यदि चाहे तो न्यूनतम मजदूरी में पूरा वेतन एक दिन में दिलवा सकती है.  लेकिन वह ऐसा नहीं करती. क्योंकि सारे मालिक और पूंजीपति नेताओं को चन्दा इसीलिए देते हैं. दूसरे, मजदूर इस कैशलेस नाटक की असलियत को भली भांति जानते हैं.  दिल्ली में कई बार देखा गया है कि कम्पनियां मजदूरों के एटीएम कार्ड अपने पास रखवा लेती हैं और वेतन का एक भाग कैश में खुद निकाल लेती हैं.  कैशलेस पेमेण्ट में न्यूनतम मजदूरी की चोरी बदस्तूर चलती रहती है.  सरकार बार-बार शिकायत करने के बाद भी इसे रोकती नहीं है.