… बहरहाल सिर्फ इस वजह से कि श्री किशुन चौधरी कुछ अभियुक्तों को पहचान नहीं सके उनके पूरे बयान को खारिज नहीं किया जा सकता. ... इस गवाह का साक्ष्य (अनेक अभियुक्तों की शिनाख्त और अन्य गवाहों के साक्ष्य से पुष्ट- संपादक) सच और भरोसेमंद प्रतीत होता है.  

आम तौर पर साफ है कि राधिका देवी ने अभियुक्त बच्चा सिंह और मनोज सिंह के बारे में अपनी गवाही में कोई नमक मिर्च लगाकर ... बात नहीं बनाई है क्योंकि अपने साथ और नईम की बेटी के साथ अभियुक्तों के आचरण का उनका बयान सुसंगत रहा है.  इसलिए राधिका देवी की गवाही सच और भरोसेमंद लगती है तथा मंजूर की जाती है. (खेतिहर मजदूर राधिका देवी और उनकी माँ खेत में काम कर रही थीं जब उन्होंने हमलावरों को देखा. उसने कहा कि जब हमलावर मारवाड़ी चैधरी के घर में घुसे तो वह खाट के नीचे छिपी हुई थी जहां से दिमंगल और श्री किशुन चौधरी की पत्नी को निकालकर उन्हें काट डाला गया. राधिका और उसकी माँ मालती, नईम की लड़की के साथ छिपी रहीं. बच्चा सिंह ने राधिका को बहलाकर न मारने का वादा करते हुए बाहर निकाला. जब वह बाहर आई तो उसने देखा कि मनोज सिंह ने दो महीने की नईम की बेटी को हवा में उछाला और उसे दाव से काट डाला. बच्चा सिंह ने उसकी छाती पर गोली चलाई और जब वह गिर गई तो उसकी उंगलियों को ईंट से कुचलकर सुनिश्चित किया कि वह मर गई है। वह मुख्य गवाहों में थी जिसने अनेक अभियुक्तों को पहचाना. सदर अस्पताल में राधिका देवी का इलाज करने वाले डाक्टर ने गवाही दी कि उसकी छाती और सांस की नली में गहरे घाव थे और नईम की बेटी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसके घाव और मौत की वजह राधिका देवी के आंखों देखे बयान के मुताबिक ही थे - संपादक)

... गवाह पलटन राम का बयान कि उसने अपनी बेटी (दस साल की- संपादक) फूल कुमारी को घर से बाहर भागते हुए देखा, अभियुक्त अजय सिंह ने उस पर और अभियुक्त नागेंद्र सिंह ने रामरतिया देवी पर गोली चलाई, पुख्ता साबित हुआ है और डाक्टर अर्जुन सिंह (वह डाक्टर जिसने फूल कुमारी और राम रतिया देवी के पोस्टमार्टम की गवाही दी) के बयान से समर्थित और पुष्ट है.

साफ है कि गवाह नईमुद्दीन ने हमलावरों को बीस से पचीस गज नजदीक से देखा था. यह भी साफ है कि इस गवाह ने घटनाक्रम का सही बयान किया है. ... सही है कि अभियुक्तों की पहचान के मामले में उसने थोड़ा असंगत बयान दिया लेकिन सिर्फ इसी वजह से (उसके) बयान को दरकिनार नहीं किया जा सकता क्योंकि अन्यथा (यह) किसी भी झोल, तोड़-मरोड़ या अतिकथन से दूर लगता है और (अन्य) गवाहान से अच्छी तरह पुष्ट है.  सरकारी गवाह इमाम हुसैन उर्फ इमामुद्दीन और राधिका देवी ने निर्भूल बयान दिया है इसलिए उनकी शिनाख्त संदेह से परे है.

फैसले के समय (12.5.2010) आज अभियुक्त मनोज सिंह, बेला सिंह, दिलीप सिंह और संतोष सिंह की ओर से आवेदन दिया गया कि घटना के वक्त वे नाबालिग थे जैसा कि उन्होंने धरा 313 सी.आर.पी.सी. के तहत दर्ज बयान में कहा था इसलिए इस आवेदन पर संज्ञान लेकर सुनवाई की जाय. इस मसले में ... मुझे दावे में कोई दम नहीं नजर आया ... क्योंकि आवेदन तब किया गया जब अभियुक्तों को दोषी पाया गया और पफैसले का समय आया जबकि पिछले बारह साल से घिसट रहे इस मुकदमे के दौरान अभियुक्तों की ओर से यह आवेदन कभी नहीं दिया गया था.  साफ है कि सभी आरोपी अपने साथियों के साथ सिर्फ हत्याकांड के ही मकसद से बथानी टोला गए थे और उन्होंने 3 महीने से लेकर 35 साल तक के बच्चों और औरतों का कत्ल किया. इसलिए सरकारी गवाहान के बयान से प्रकट तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर यह मामला विरल से विरलतम मामलों की श्रेणी में आता है.  साफ है कि आरोपी नं.-1 अजय सिंह द्वारा दस साल की लड़की फूल कुमारी के कत्ल का ठोस सबूत है जबकि आरोपी मनोज सिंह ने नईम की 3 महीने की बच्ची को मारा और आरोपी नं.-3 नागेंद्र सिंह उर्फ नरेंद्र सिंह ने दस साल की फूल कुमारी का हाथ काटने के अलावा संझारो देवी और रामरतिया देवी का कत्ल किया.  इसी तरह आरोपी बच्चा सिंह उर्फ हरेकृृष्ण सिंह के खिलाफ सबूत है कि उसने राधिका देवी के सीने पर गोली चलाई जिससे वह बच गई.  ... ऐसे हालात में आरोपी 1 से 3 अर्थात अजय सिंह, मनोज सिंह और नागेंद्र सिंह उर्फ नरेंद्र सिंह फाँसी की सजा पाने लायक ठहरते हैं ... जबकि आरोपी बच्चा सिंह को दंड संहिता की धारा 307 के तहत आजीवन कारावास की सजा दी जाती है ... और अन्य आरोपी बच्चा सिंह, हरे राम सिंह, अक्षयबर सिंह, कन्हैया सिंह, दिलीप सिंह, संजय सिंह, अशोक सिंह, मुन्ना सिंह, डिग्री सिंह, संतोष सिंह, कमलेश सिंह, सूबेदार सिंह, बेला सिंह, माधे मौर, महेंद्र मौर, श्री भगवान मौर, भरत मौर, झम्मन उर्फ वेंकटेश मौर, राम पूजन ओझा और मंगल राय को धारा 302/149 के तहत आजीवन कारावास की सजा दी जाती है.
अजय कुमार श्रीवास्तव,

एडीशनल डिस्ट्रिक्ट सेशन जज-1, भोजपुर, आरा