याद करिये कि नोटबंदी की घोषणा के अगले ही दिर सबेरे अखबारों में नरेन्द्र मोदी की फोटो के साथ पेटीएम के फुल पेज के इश्तिहार छपे थे. इतने कम समय में इश्तिहार तभी छप सकता है जब पेटीएम कम्पनी को नोटबंदी की जानकारी पहले से रही हो.

  • प्रधानमंत्री कहते हैं ‘पेटीएम करो’ – कैशलेस हो जाइये, डिजिटल बनिये. इसका सीधा मतलब है कि पेटीएम जैसी कम्पनियां जनता की छोटी से छोटी खरीदारियों से अकूत मुनाफा बनायेंगी.

  • सरकार बनने से पहले भाजपा खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश का विरोध करती थी. तब कहती थी कि इससे छोटे और गली-मुहल्ले के दुकानदारों को हानि पहुंचेगी. अब सत्ता में आने के बाद वही भाजपा खुदरा व्यापार में एफ.डी.आई. का समर्थन करने लगी. नोटबंदी के माध्यम से कैशलेस व्यवस्था जबरन थोपना खुदरा व्यापार में लगे बड़े पूंजीपतियों के फायदे में है. छोटे स्तर की खेती, मछली उद्योग, दुकानें, छोटे उद्योग और अनौपचारिक क्षेत्रा के व्यवसाय कैशलेस और डिजिटल अर्थतंत्र में बड़ी पूंजी के खिलाड़ियों के आगे टिक नहीं पायेंगे.

  • छोटे नोटों की जगह जानबूझ कर 2000 का नोट छपाया; कैश निकालने की सीमा बांध दी; नये नोटों की छपायी देर से धीरे-धीरे चली; नकद पैसे को भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला बताया और कैशलेस को साफ-सुथरा धन (जो कि झूठ है) – इनसे स्पष्ट है कि मोदी सरकार कैशलेस लेन-देन को बढ़ा कर पूंजीपतियों के स्वार्थ पूरे कर रही है और गरीबों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है.

  • जानबूझ कर रिजर्व बैंक की ओर से आजकल निजी क्षेत्र की बैंकों को ज्यादा कैश दिया जा रहा है, और सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों को कम. नोटबंदी की आपदा का इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की साख गिराने के लिए भी हो रहा है.