नोटबंदी के फैसले के पीछे एक राजनैतिक कारण भी चर्चा में है. कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और मोदी सरकार की वायदा खिलाफी से जनता नाराज है. काला धन विदेशों से वापस लाने में, महंगाई कम करने में, रोजगार देने में मोदी सरकार पूरी तरह से विफल हुई है. उल्टे इस सरकार के संरक्षण में दलितों व अल्पसंख्यकों के ऊपर संघी गिरोहों के हमले लगातार हो रहे हैं. पहले तो प्रधानमंत्री ने उरी में तथाकथित ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से अपनी घटती लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर उठाने की कोशिश की. लेकिन सरकार के खिलाफ सवाल उठने लगे कि इतनी बड़ी संख्या में बिल्कुल नाक के नीचे हमारे जवान कैसे मारे गये, और भारत की सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर क्यों है कि पठानकोट, उरी, या नगरौटा में सेना के शिविरों पर हमलों को हम रोक नहीं पाते. ऐसे में मोदी को चुनावों का सामना करने के लिए एक नया सहारा चाहिए था – और उन्हें लगा कि ‘काले धन के खिलाफ इस तथाकथित सर्जिकल स्ट्राइक’ से उनकी छवि कुछ बेहतर हो जायेगी.