उन दावों में कितनी सच्चाई है जिनके अनुसार नोटबंदी से आतंकवाद खत्म होगा या कश्मीर में पत्थर फेंकने वालों पर रोक लगेगी क्योंकि आतंकवादियों के पास उन्हें देने के लिए रु. 500 का नोट नहीं रहेगा?

यह भी जान लीजिये कि जम्मू और कश्मीर की पुलिस ने दावा किया है कि नये 2000 के नोटों के साथ वहां आतंकवादी पकड़े गये हैं! और पत्थर फेंकने के पीछे सच्चाई यह है कि –

  • कश्मीरी पत्थर इसलिए फेंकते हैं क्योंकि उनमें काफी आक्रोश है. वे पैसे के लिए पत्थर नहीं फेंकते. अगर हरेक कश्मीरी का दिल और दिमाग तथा कश्मीर समस्या का समाधान मात्र 500 रुपये में खरीदना सम्भव होता तो कश्मीर समस्या अब तक तो हल हो गयी होती?

  • कितना हास्यास्पद है कि सरकार के लोग कहते फिर रहे हैं कि नोटबंदी से कश्मीर में पत्थरबाजी रुक गई है, उल्टे अन्य राज्यों में भी नोटबंदी के खिलाफ पत्थरबाजी शुरू हो गई है! लाइनों में खड़े गुस्साये लोगों ने पश्चिम बंगाल के मालदा और उत्तरप्रदेश के बुलन्दशहर में एटीएम और बैंक पर पत्थर फेंक अपना गुस्सा निकाला.

उ.प्र. में भाजपा ने थोक में खरीद लीं मोटरसाइकिलें

‘आयरनी आॅफ इण्डिया’ वेब पोर्टल ने 14 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक रिपोर्ट प्रकाशित कीः “जंगल चैरी में हमने कम से कम 248 टीवीएस मोटरसाइकिलें वितरण के लिए तैयार देखीं जिन पर भाजपा के स्टिकर लगे थे”. गोरखपुर में भाजपा के बेनीगंज कार्यालय ने करीब 188 ऐसी बाइक्स खरीदी. हर विधानसभा में प्रचार के लिए चार बाइकें भेजी जायेंगी.

पंजीकरण शुल्क सहित एक बाइक की कीमत लगभग 37,105 रुपये है. यानि 248 बाइक के लिए 91,80,000 रुपये खर्च हुए. क्या ये मोटरसाइकिलें सफेद धन से खरीदी गईं? और यह खर्च भाजपा अपने उ.प्र. के चुनाव खर्च में जोड़ कर चुनाव आयोग में जमा करायेगी?