पिछले संकटों की तरह वर्तमान संकट के साथ भी, या कहिये कि संकट की सम्पूरक परिघटना की हैसियत से, हर जगह रोजगार के अवसरों का खात्मा, वेतन जाम, सब्सिडी वापस लिये जाने, कारपोरेट कम्पनियों द्वारा कानूनी तौर पर की जाने वाली लूट के बतौर प्राकृतिक संसाधनों को हड़प लेने इत्यादि के खिलाफ सशक्त आंदोलन जुड़े हुए हैं. आइये, हम आर्थिक संकट के इन राजनीतिक परिणामों के कुछेक सर्वाधिक महत्वपूर्ण आयामों पर संक्षिप्त नजर डालें.