(9 नवम्बर 1995 की झारखंडस्तरीय रैली, रांची में दिया गया भाषण; समकालीन लोकयुद्ध, 30 नवम्बर 1995 से, प्रमुख अंश)

झारखंड की ऐतिहासिक लड़ाई एक जड़ता में फंस गई है. अबतक की सबसे बड़ी आंदोलनकारी पार्टी झामुमो ने बिहार की लालू सरकार और केंद्र की नरसिंह राव सरकार के साथ नापाक गठबंधन बना लिया है. झारखंडी जनता को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है. हम ऐसा नहीं होना देंगे. हमारी पार्टी ने इस चुनौती को स्वीकार किया है. पहले वामपंथी ताकतें और वामपंथी विचारधारा इस आंदोलन पर हावी थीं. वही इस आंदोलन का स्वर्णिम दौर था. बाद में कांग्रेस, जद की घुसपैठ बढ़ती गई और यह आंदोलन भी कमजोर पड़ने गया. हमारी पार्टी इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए क्रांतिकारी शक्तियों से शिरकत करने का आह्वान करती है. झारखंडी शक्तियों में कई बार टूट-फूट हुई है मगर सबके सब समझौतावाद और अवसरवाद में पतित हो गई हैं. यह हमारी जिम्मेवारी है कि हम इस आंदोलन को आगे बढ़ाएं. आज की रैली इसी आह्वान की शुरूआत है. झारखंडी जनता का विशाल बहुमत इस आंदोलन को धोखा और झुनझुना मानता है. यह स्वायत्त परिषद अधिकार संपन्न नहीं है. इसका गठन करते हुए उसमें सक्रिय झारखंड आंदोलनकारी शक्तियों को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. हम इस अलोकतांत्रिक परिषद को जल्द-से-जल्द भंग कर चुनाव कराने की मांग करते हैं.

हमारे देश के ऊपर सांप्रदियाक फासीवाद का खतरा बढ़ चुका है. भाजपा ने बंबई के अपने महाधिवेशन में यह फैसला किया है कि अगर आगामी संसदीय चुनाव में हम सत्तासीन होते हैं तो एटम बम बनाया जाएगा और सेना को सर्वोत्तम और अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा. ये पाकिस्तान विरोधी, चीन विरोधी प्रचार करते हुए देश के अंदर एक युद्धोन्माद पैदा करना चाहते हैं. हम पड़ोसी देशों के साथ भाईचारा और परस्पर सहयोग स्थापित करना चाहते हैं. हम अपने देश के सीमित संसाधनों को देश के विकास और यहां की जनता की भलाई में लगाना चाहते हैं. इन सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ आवाज उठाएं. ये शक्तियां झारखंड क्षेत्र में एक विशेष प्रभाव बनाए हुए हैं. हमारा नारा होना चाहिए ‘पड़ोसी देशों के साथ युद्ध नहीं समझौता’, ‘देश के संसाधनों का देश की गरीबी हटाने में उपयोग किया जाए’. हमारा देशप्रेम मुसमानों का कत्लेआम नहीं है. सच्चा देशप्रेम देश की गरीबी के खिलाफ लड़ाई है, साम्राज्यवादी शिकंजों के खिलाफ एलान-ए-जंग है.

हमारी पार्टी सीपीआई(एमएल) देश के क्रांतिकारी आंदोलनों की विरासत को संजोए हुए है चाहे वो बिरसा मुंडा की हो, सिद्धु-कानू की हो, देश के गरीब किसानों की हो. इस विरासत के झंडे को हम ऊंचा उठाए हुए हैं. यहां लालखंडियों(एमसीसी) ने हमारे तीन साथियों की हत्या कर दी है. यह क्रांतिकारी लफ्फाजियों से बढ़ते हुए आपराधिक कुकृत्यों में संलग्न होता जा रहा है. ये क्रांतिकारी आंदोलन में तोड़-फोड़ मचाकर लालू प्रसाद की, शासक वर्गों के हितों की चाकरी कर रहे हैं. उनकी सारी की सारी नफरत हमारी पार्टी के खिलाफ ही केंद्रित है. हमारी पार्टी ने अपने लंबे इतिहास में अनेकानेक निजी सेनाओं और गुंडावाहिनियों के खिलाफ संघर्ष किया है. उन्हें धूल चटाया है. इतिहास का विकास, आने वाला भविष्य हमारी पार्टी के साथ है. ये इतिहास को पीछे ले जाने वाली शक्तियां हैं. हम लालखंडियों से कहना चाहते हैं कि तुम इतिहास से सीखो. अंतिम जीत हमारी ही होगी. फिर भी हम बातचीत के जरिए समझौता करने, मिलजुल कर काम करने के विरोधी नहीं हैं. मगर वे हमेशा ही उल्टा बर्ताव करते हैं. अगर कोई बंदूकों से, हत्याओं के जरिए हमें आतंकित करने पर उतारू हो चुका है तो हम उसे उसी की भाषा में उत्तर देना जानते हैं. हमें इन तमाम प्रतिक्रियाओं से मुकाबला करना है. सीपीआई यहां से एकमात्र सीट पर जीती है और बाकी सीटों पर हार गई है. यह अंतराल हमारे लिए सबसे बड़ी और सशक्त वामपंथी शक्ति के बतौर उभरने के लिए बहुत ही माकूल अवसर प्रदान कर रहा है जिसमें हमें एकदम नहीं चुकना है.