मोदी ने मजदूर वर्ग पर असल युद्ध घोषित कर दिया है. श्रम कानूनों के रूप में न्यूनतम सुरक्षा जो सत्तारूढ़ वर्गों से एक शताब्दी के खूनी संघर्षों, जिसमें हजारों श्रमिकों ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया, के बाद छीना गया था, अब उन्हें ख़त्म किया जा रहा है. साम्राज्यवादियों और अडानी और अंबानी जैसे उनके एजेंटों के निर्देशों पर मोदी मजदूर वर्ग को “व्यापार को आसान बनाने“ के नाम पर गुलाम बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है. मोदी देश के अंबानी और अडानी जैसों का एजेंट बनने मे नहीं शर्माता है. जहां भी मोदी जाता है, अडानी और अंबानी जाते हैं; अमेरिका से ब्राजील, जापान, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया तक! मोदी ने अडानी के लिए खनन का ठेका हासिल किया, जब वे एक साथ ऑस्ट्रेलिया गए थे और वास्तव में, मोदी ने अडानी को परियोजना के लिए 6,000 करोड़ रूपये से अधिक का ऋण देने के लिए भारतीय स्टेट बैंक को मजबूर किया. अनिल अंबानी मोदी के साथ फ्रांस गए और उन्हें रफाल डील से पुरस्कृत किया गया! इनके लिए मोदी का पूर्ण समर्पण है. इसलिए पहले से ही उम्मीद थी कि मोदी उद्योगपतियों की मजदूरों पर से श्रम कानूनों की सुरक्षा को हटाने की लंबित मांग के आगे झुक जाएगा.