श्रम कानूनों में किसी भी संशोधन को लाने से पहले ही, मोदी सरकार ने श्रम कानूनों के उल्लंघन का रास्ता आसान करने के लिए श्रम निरीक्षकों द्वारा निरीक्षण की प्रणाली में संशोधन करके मौजूदा श्रम कानूनों को बेकार कर दिया है.

श्रम कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिकांश श्रम कानून श्रम निरीक्षकों को प्रतिष्ठानों के औचक (अचानक) निरीक्षण करने के लिए सशक्त करते हैं. यह सही है देश भर में केवल 3,000 श्रम निरीक्षक थे जो लगभग 78 लाख प्रतिष्ठानों (यानी 2500 प्रतिष्ठानों पर एक लेबर इंस्पेक्टर) में श्रम कानून प्रावधानों, जैसे कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, के उल्लंघन की जांच करने के लिए अधिकृत थे. महाराष्ट्र, 2010 में देश में सबसे अधिक औद्योगीकृत राज्य, में प्रत्येक श्रम निरीक्षक को 5,800 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करना पड़ता था. इसलिए, यह समझा जा सकता था है कि 1980 के दशक में जब सालाना लगभग 80 प्रतिशत प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया था, यह आंकड़ा 2010 तक घट कर 17 प्रतिशत पर आ गया. उत्तर प्रदेश में कई सालों से अब जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना कोई निरीक्षण नहीं हो सकता है. निरीक्षण के इतने कम स्तर के परिणामस्वरूप पिछले दशक से औद्योगिक दुर्घटनाओं और श्रम कानूनों के उल्लंघन में तेजी आई है. पुरानी निरीक्षण प्रणाली के साथ ये हालात हैं. फिर भी, इन हालातों के बावजूद, निरीक्षण उद्योगपति लॉबी के लिए एक बड़ी चिंता थी.

अब, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने “व्यापार नियमों को सरल बनाने और श्रम निरीक्षण में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व लाने’’ के उद्देश्य से एक संशोधित निरीक्षण योजना शुरू की है. नई योजना के अनुसार, सभी निरीक्षण वेब पोर्टल असाइनमेंट सिस्टम पर आधारित होंगे, और नियोक्ता को किसी भी निरीक्षण से पहले पूर्व सूचना दी जाएगी. इस प्रणाली ने इंस्पेक्टरों की शक्तियों को पूरी तरह से सीमित कर दिया है और औचक निरीक्षणों को असंभव और निरीक्षण की पूरी प्रक्रिया को औपचारिकता बना दिया है.

वास्तव में, वर्तमान प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के श्रम निरीक्षण कन्वेंशन, 1947 के अनुरूप भी नहीं है, जिसका भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है, और जो मान्यता देता है कि श्रम निरीक्षण प्रणाली का कार्य काम की परिस्थितियों और इन कामों में लगे श्रमिकों की सुरक्षा से संबंधित कानूनी प्रावधानों के प्रवर्तन को सुनिश्चित करना होगा, जैसे काम के घंटों, मजदूरी, सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित प्रावधान, बाल और किशोर श्रमिकों का नियोजन, जो अन्य बातों के साथ-साथ श्रम निरीक्षकों को अधिकार देने का प्रावधान करता है कि वे दिन या रात के किसी भी घंटे में किसी भी कार्यस्थल के निरीक्षण को बिना किसी पूर्व सूचना के करने के लिए सशक्त होंगे. अतः मोदी सरकार आईएलओ के संबंधित कन्वेंशन का साफ तौर पर उल्लंघन कर रही है.